छोड़कर सामग्री पर जाएँ

अपने बंबई प्रवास‌ के‌ दौरान प्रेमचंद‌ का ये पत्र‌ जो उन्होने अपनी पत्नी के नाम लिखे थे

टैग्स:
इस ख़बर को शेयर करें:

प्रेमचन्द 4 जून, 1934 को बम्बई पहुँचे। तीन दिन बाद शिवरानीदेवी को लिखा “मैं तुमसे विदा होकर बम्बई ख़ैरियत से पहुँच गया हूँ। यहाँ स्टूडियो का काम भी देखना शुरू कर दिया है… मुझे तो तुम लोगों के बिना इतनी बड़ी बम्बई होते हुए भी सूनी ही मालूम होती है। यही बार-बार इच्छा होती है कि छोड़-छाड़कर भाग खड़ा होऊँ..बार-बार यह झुंझलाहट होती है, कहाँ से यह बला भी ले ली।

मैंने अभी मकान नहीं लिया है, मकान ले लेंगे तो वह सूना घर मुझे और खाने दौड़ेगा। इस ख़्याल से मैं मकान के लिए सोचता ही नहीं हूँ। मकान तो उसी समय लूँगा,‌‌‌ जब तुम्हारा पत्र आने के लिए आ जाएगा। और मकान ही लेकर सीधा तुम्हारे पास लेने को आऊँगा। ग्यारह दिन बाद “तुम लिखती हो कि 22 जून की शादी है और दूसरी बहन के यहाँ जो शादी है वह 28 जून की है। मेरी समझ में नहीं आता कि ये शादियाँ उन लोगों के घर हों, तो उसका तावान अकेला मैं दूँ।

मैं समझता हूँ कि तुम जुलाई के पहले आने का शायद नाम न लोगी। अच्छा, बेटी और ज्ञानू आ गए हैं, यह सुनकर मुझे ख़ुशी हुई। तुम तो इन सबके साथ ख़ुश हो, इधर मैं सोचता हूँ कि एक-डेढ़ महीने कैसे बीतेंगे। इसे समझ ही नहीं पाता हूँ। आख़िर काम ही करूँ, तो कितना करूँ। आख़िर बैल भी तो नहीं हूँ, फिर आदमी के लिए मनोरंजन भी तो कोई चीज़ होती है। मेरा मनोरंजन तो सबसे अधिक घर पर बाल-बच्चों से ही हो सकता है। मेरे लिए दूसरा कोई मनोरंजन ही नहीं है।

खाना भी खाने बैठता हूँ तब भी अच्छा नहीं मालूम होता, क्योंकि यहाँ साहबी ठाट-बाट हैं और साहब बनने से मेरी तबीयत घबराती है। वहाँ होता, ज्ञानू आया था, उसको खिलाता। अब तो वह ख़ूब साफ़ बोलता होगा। अच्छा, बन्नू और धुनू का क्या हाल है? बेटी तो अच्छी है न? इन सबको मेरी तरफ़ से प्यार कर देना। ये सब तो ख़ुश होंगे, क्योंकि शादी है।

मेरी तो यह समझ में नहीं आता कि जो लोग घर बार से अलग रहते होंगे, वे कैसे रहते हैं। मुझे तो यह महीना-डेढ़ महीना याद करके मेरी नानी मरती है कि किस तरह ये दिन कटेंगे। क्या करूँ, किसी तरह से काटना होगा।” * ये पत्र‌ प्रेमचंद‌ ने अपनी पत्नी शिवरानी देवी के नाम अपने बंबई प्रवास‌ के‌ दौरान लिखे थे। जब वे फिल्मों में काम करने के लिए वहाँ गए थे।

स्रोत : क़लम का मज़दूर किताब से

गणेश मुखी रूद्राक्ष पहने हुए व्यक्ति को मिलती है सभी क्षेत्रों में सफलता एलियन के कंकालों पर मैक्सिको के डॉक्टरों ने किया ये दावा सुबह खाली पेट अमृत है कच्चा लहसुन का सेवन श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में हुआ दर्ज महिला आरक्षण का श्रेय लेने की भाजपा और कांग्रेस में मची होड़