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एक ऐसी हवेली जिसे मुगल काल की आखिरी इमारत माना जाता है. यह भी किसी बेगम के लिए ही बनवाई गई थी. बहादुर शाह जफर ने इसे अपनी बेगम जीनत महल के लिए बनवाया था. शायद इसीलिए इस हवेली को जीनत महल की हवेली कहा जाता है.
भारतीय इतिहास में मुगलों का भी प्रमुख स्थान रहा है. मुगलों की बनाई तमाम इमारतें आज भी काफी चर्चा में रहती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में बनवाई गई मुगलों की सबसे आखिरी हवेली कौन सी थी. आइए इसी बारे में जानते हैं. जीनत महल हवेली को भारत में मुगलों की आखिरी हवेली कहा जाता है. यह हवेली जीनत महल बेगम के नाम पर बनवाई गई थी. आज भी इस हवेली को जीनत महल हवेली के नाम से ही जाना जाता है.
दरअसल, इस हवेली को मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफर नेअपनी बेगम जीनत महल के लिए बनवाया था. शायद इसीलिए इस हवेली को जीनत महल की हवेली कहा जाता है. यह दिल्ली के महरौली में स्थित है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बहादुर शाह जफर और जीनत का निकाह 1840 में हुआ था और इसके सिर्फ चार साल बाद ही महरौली में इस हवेली को बनाया गया. बताया जाता है कि उस समय दिल्ली का महरौली इलाका मुगलों का गढ़ हुआ करता था.
बताया जाता है कि इस हवेली को खास तौर पर जीनत महल के लिए डिजाइन किया गया था और जब जीनत हवेली में एंट्री करती थीं, तब यहां शहनाईयां बजती थीं. पूरी हवेली मधुर संगीत की धुन में रम जाती थी. जीनत महल से मिलने खुद बहादुर शाह जफर इसी हवेली में जाया करता था. 1886 में जीनत महन की मौत हो गई. यहीं से इस हवेली के बुरे दिन शुरू हो गए.
आज किस हालत में है हवेली
बताया जाता है कि कभी खूबसूरत मल्लिका की आलीशान हवेली रही यह जीनत महल हवेली अब खंडहर में तब्दील हो चुकी है. बाद में इस हवेली पर अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया था. इतना ही नहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक अंग्रेजों ने बाद में इस हवेली का उपयोग लोगों की लाशेंदफनाने में किया.
इसके बाद इसे भूतिया हवेली भी कहा जाता था और यहां कोई नहीं जाता था. आज भी यह हवेली इसी हालत में है. अब यह पूरी तरह बंद रहती है. इस हवेली के आसपास के ही इलाके में कुतुबमीनार, बख्तियार काकी की दरगाह, योगमाया मंदिर जैसे दिल्ली के कई पर्यटक स्थल मौजूद हैं।