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सरकार पर कंट्रोल नीतीश कुमार कर रहे थे लेकिन तेजस्वी यादव अपने आप को खूब ज्यादा प्रमोट करने लगे थे फिर उसके बाद यह पता चला कि लालू यादव ने लल्लन प्रसाद को अपने पक्ष में मिल लिया जो JDU के अध्यक्ष हुआ करते थे और यह साजिश रची गई कि किसी तरह से 20 से 25 विधायक आप तोड़ दो फिर हम सरकार बनाएंगे तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनेंगे और लल्लन जी उपमुख्यमंत्री बनेंगे।
बस फिर क्या लल्लन प्रसाद विधायकों को तोड़ने में लग गए लेकिन उनमें से दो-तीन विधायकों ने यह बात नीतीश कुमार तक पहुंचा दी नीतीश कुमार ने अपनी आईबी सक्रिय की तब जाकर के पूरे साजिश का उन्हें पता चला फिर नीतीश कुमार को अकल आ गई की मरा हुआ सांप गले में लटका कर नहीं घूमना चाहिए क्योंकि कहते हैं कि मरे हुए सांप में भी 365 दिनों तक जहर असर करता है, नीतीश जी ने शिक्षक बहाली का फैसला लिया। तेजस्वी ने उसमें एक बड़ा बदलाव कर दिया और डोमिसाइल क्राइटेरिया हटा दिया।
मतलब बिहार जहां बेरोजगारी चरम पर है, जहां के लोग नौकरी के लिए बिहार के बाहर रहते हैं, वहां वेकेंसी निकली तो तेजस्वी ने बिहार के साथ साथ दूसरे राज्यों के कैंडिडेट को भी परमिशन दे दिया।
नतीजा ये रहा की जिस स्थान पर बिहार के शिक्षकों को काम करना था, वहां दुसरे राज्य के लोग काम करने लगे। बिहारियों का हक मारा गया। बिहारियों के साथ धोखा हुआ।
नीतीश जी कितना भी चाहे लेकिन तेजस्वी और लालू ने एक नहीं चलने दिया। हद तो ये हो गया जब उनके मंत्री कहने लगे की बिहार में अच्छे कैंडिडेट नहीं हैं इसीलिए दूसरे राज्यों से ला रहे हैं। अच्छा हुआ, नीतीश जी इस चंगुल से निकल लिए।