छोड़कर सामग्री पर जाएँ

पिण्डवाडा में स्थित परबत सिंह सिसोदिया की छतरी

इस ख़बर को शेयर करें:

सिरोही के महाराव राय सिंह देवडा द्वारा परबत सिंह जी सिसोदिया को पिण्डवाडा की जागीर दी गई थी। परबत सिंह जी मेवाड़ के महाराणा उदयसिंह जी के पुत्र रुद्रसिंह जी के पुत्र थे। इनके वंशजों में साणवाडा, सांगवाडा, धनारी, झाडोली आदि जागीरें विभक्त हुई। राणावत परबत सिंह जी के बाद पिण्डवाडा में क्रमश साहेबसिंह, अमरसिंह, प्रतापसिंह, संग्रामसिंह व सवाईसिंह जी हुए।

सवाईसिंह जी ने धनारी के ठाकुर जालमसिंह जी को गोद लिया था। ठाकुर जालम सिंह जी निसंतान थे, जिससे पिण्डवाडा खालसा राज घोषित किया गया। सन 1811 के पश्चात पिण्डवाडा किसी को भी जागीर में पुनः नहीं मिला।

यह रूद्र सिंह जगमाल के पौत्र है। महाराव रायसिंह ने समझौते के तोर पर पिंडवाड़ा जागीर दी थी यह जगमाल के वंशज हैं। और झाड़ोली इनके जागीर में नहीं था यह साजिश के तौर पर बिठाया गया था यह सोलंकी की जागीर था।

गणेश मुखी रूद्राक्ष पहने हुए व्यक्ति को मिलती है सभी क्षेत्रों में सफलता एलियन के कंकालों पर मैक्सिको के डॉक्टरों ने किया ये दावा सुबह खाली पेट अमृत है कच्चा लहसुन का सेवन श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में हुआ दर्ज महिला आरक्षण का श्रेय लेने की भाजपा और कांग्रेस में मची होड़