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एडवेंचर शौकीन के लिए विकल्प

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अगर आप एडवेंचर ट्रिप्स के शौकीन हैं तो आपके लिए विकल्प की कोई कमी नहीं है. गर्मी का मौसम आ गया है, ऐसे में छुट्टियां बिताने के लिए लोगों ने प्लानिंग शुरू कर दी है. आप भी एडवेंचर का शौक फरमाते हैं, तो जानिए इस साल कैसे इनका का लुत्फ उठाया जा सकता है:

1. फ्लायबोर्डिंग
वॉटर स्पोर्टस में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए मजेदार है. इसे हायड्रोफ्लाइंग के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें फ्लायबोर्ड सवार एक बोर्ड पर खड़ा रहता है, जो एक पाइप के जरिए जलयान से जुड़ा होता है. इससे करीब 15 मीटल की ऊंचाई तक उड़ा जा सकता है, मगर इसमें काफी जोखिम है.
कहां कर सकते हैं: भारत में सिर्फ एक ही फ्लायबोर्डिंग परिचालक है- फ्लायबोर्ड नेशन, जो चॉपडेम जेट्टी के जरिए गोवा की चोपारा नदीं में इसका संचालन करती है.
इन बातों का रखें ध्यान: इसके लिए आपको तैरना आना चाहिए. न्यूनतम आयु 13 वर्ष है. सुरक्षा के लिहाज से लाइफ जैकेट और हेलमेट जरूरी है. फोटो और वीडियो के लिए खर्च अलग है.
क्या है खर्च: इसके लिए 15 मिनट के लिए 3,500 रुपये, 20 मिनट के लिए 4,500 रुपये और 30 मिनट के लिए 6,000 रुपये प्रति व्यक्ति का खर्च आएगा.

2. सीवॉकिंग
इस एडवेंचर स्पोर्ट के लिए तैरना आना जरूरी नहीं है. इसके लिए आपकों अपने सिर पर कांच का डोम रख कर, महासागर के तल पर चलना होगा. आप समुद्र के अंदर के नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं.
कहां कर सकते है: भारत में इसे अंडमान निकोबार द्वापी के एलिफेंट बीच, बायना बीच पर किया जा सकता है. यह जून से अगस्त के दौरान बंद रहता है.
इन बातों का रखें ध्यान: 7 से 70 साल तक के लोग इसका मजा उठा सकते हैं. गर्भवती महिलाओं और कुछ रोगों से ग्रस्त लोग इसे नहीं कर सकते.
क्या है खर्च: कीमत पैकेज के आधार पर कम या ज्यादा हो सकती हैं, मगर शुरुआती खर्च 3,500 रुपये प्रति व्यक्ति है.

3. व्हाइट वॉटर राफ्टिंग
पानी के तेज बहाव का सामना करने में युवाओं को खासा मजा आता है. कई लोग इसे अपना जुनून करार देते हैं. हालांकि, इसके लिए विशेष हुनर, अनुभव और फिटनेस की जरूरत होती है.
कहां कर सकते है: भारत में ऋषिकेश (सितंबर से जून), लद्दाख (जुलाई से अगस्त), मानाली (मार्च से जुलाई), कुर्ग (जून से सितंबर) में इसका मजा लिया जा सकता है.
इन बातों का रखें ध्यान: ऐसे कपड़े पहने जो जल्दी सूखने वाले हों. अपने पास सनस्क्रीन, सनग्लास, वॉटरप्रूफ बैग और एनर्जी बार्स अवश्य रखें.
क्या है खर्च: कीमतें 800 रुपये से शुरू. कीमत समय, भीड़, लोगों की संख्या और दूरी के आधार पर बढ़ सकती है.

4. केविंग
इस एडवेंचर की लोकप्रियता भारत में काफी कम है. दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी और गहरी गुफाएं मेघालय में हैं. यह ज्यादा महंगा भी नही है, मगर इसके लिए फिटनेस और स्टेमिना बहुत जरूरी है.
कहां कर सकते है: भारत में इसका पता है – द खासी, गारो एंड जैंतिया हिल्स, मेघालय
इन बातों का रखें ध्यान: इसका मजा उठाने का सर्वश्रेष्ठ समय नवंबर से मार्च के दौरान है, जब पानी की स्तर कम होता है. ग्रुप मे जाना बेहतर है. लाइटिंग, खाने और पानी की पर्याप्त मात्रा रखे. रेंगने, फिसलने और चढ़ने के लिए तैयार रहें.
क्या है खर्च: 5 से 6 दिन इन गुफाओं में बिताने के लिए 3,500 से 4,500 रुपये तक खर्च करना पड़ सकता है.

5. हॉट एयर बलून राइड
यह काफी महंगा शौक है, मगर इसका अनुभव जबरदस्त है. इसका मजा देश के कई हिस्सों से लिया जा सकता है. हालांकि, इसके लिए आपकी उम्र पांच साल और हाइट चार फुट से अधिक होना जरूरी है. इसके अलावा काफी देर तक खड़ा रहने की भी क्षमता होनी चाहिए.
कहां कर सकते है: राजस्थान में पुष्कर, महाराष्ट्र में लोनावाला, दिल्ली-हरियाणा में दमदमा लेक, उत्तर प्रदेश में आगरा, कर्नाटक में हंपी और गोवा में इसका लुत्फ उठा सकते हैं.
इन बातों का रखें ध्यान: ऐसे परिधान का चयन करें, जिसके चलते आप आसानी से बलून में घुस सकें. आरामदायक जूते भी जरूरी हैं. धूप से बचने के लिए टोपी-चश्मे का इस्तेमाल करें.
क्या है खर्च: एक घंटे की सैर के लिए जेब से 3,000 से 12,000 रुपये तक ढीले करने पड़ सकते हैं.

6. पैराग्लाइडिंग
इसमें लोगों की दिलचस्पी बढ़ रही है. इसके लिए ऊंचाई और स्पीड दोनों ही महत्वपूर्ण है. हालांकि, सारा कंट्रोल पायलट के हाथ मे ही होता है. इसके लिए थोड़ी बहुत ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है.
कहां कर सकते है: भारत में इसे करने के लिए आपको हिमाचल के बीर-बिलिंग और मनाली, उत्तराखंड के मसूरी और रानीखेत, महाराष्ट्र के कामशेत, कर्नाटक के बेंगलुरु और तमिलनाडु के येलागिरी का टिकट बनवाना होगा.
इन बातों का रखें ध्यान: हर राज्य के अनुसार सर्वोत्तम समय अलग-अलग है. हल्क कपड़े पहने और यात्रा से पहले कुछ खाएं-पिएं नहीं. इसके लिए वजन 120 किलोग्राम से कम और उम्र 18 वर्ष से अधिक जरूरी है. नाबालिग अभिभावक के साथ इसका मजा उठा सकते हैं.
क्या है खर्च: इसकी शुरुआती कीमत 1,500 रुपये प्रति व्यक्ति है.

इन गर्मियों में बेहतरीन अडवेंचर स्पोर्ट्स का लें मजा
आप में जोश है और हदों को पार करने का जुनून भी है तो अडवेंचर स्पोर्ट्स आपके लिए ही बने हैं। कहते हैं न, डर के आगे जीत है। इस बार गर्मी की छुट्टियों में ऐसी जगहों पर घूमकर आएं, आप में जोश है और हदों को पार करने का जुनून भी है तो अडवेंचर स्पोर्ट्स आपके लिए ही बने हैं। कहते हैं न, डर के आगे जीत है। इस बार गर्मी की छुट्टियों में ऐसी जगहों पर घूमकर आएं, जहां अपने डर को मात दे सकें।

बंजी जंपिंग
रोंगटे खड़े कर देने वाली ऊंचाइयों से कूदने का थ्रिल वही जान सकता है, जिसने इसे आजमाया हो। बंजी जंपिंग भी एक ऐसा ही खेल है, जिसमें रस्सी के सहारे बंधकर सैकड़ों फिट ऊंचाई से कूदना होता है। कूदने वाले प्लेटफॉर्म की ऊंचाई 200 से 300 फिट तक हो सकती है।
कौन कर सकता है: उम्र 14 साल से 50 साल तक। 45 साल से ऊपर के लोगों को डॉक्टर से फिटनेस सर्टिफिकेट देना पड़ता है। 50 से ऊपर के लोग बंजी जंपिंग के योग्य नहीं होते।
कितना सेफ: भारत में इस तरह के स्पोर्ट्स को सर्टिफाइ करने वाली एजेंसियां नहीं हैं लेकिन कुछ एजेंसियों ने जर्मनी और न्यूजीलैंड की सेफ्टी एजेंसीज से सर्टिफिकेट ले रखा है। आमतौर पर यह गेम सेफ है।
कब करें: पूरे साल
खर्च कितना: करीब 2 हजार रुपये प्रति जंप

रिवर राफ्टिंग
पहाड़ी नदी की तेज रफ्तार और रबर की नाव पर हिचकोले खाते आप। कुछ ऐसा ही नज़ारा होता है रिवर राफ्टिंग का। राफ्टिंग को मुश्किलों के हिसाब से ग्रेड 1 से ग्रेड 6 तक में बांटा गया है।
कहां: रिवर राफ्टिंग के दीवाने साल भर ऋषिकेश जाते हैं। इसे भारत की राफ्टिंग कैपिटल के रूप में जाना जाता है। दुनिया भर के राफ्टिंग के दीवाने यहां जमा होते हैं। वैसे राफ्टिंग मनाली और लद्दाख में भी की जा सकती है।
कब करें: मार्च से मई और सितंबर से नवंबर के बीच
कौन कर सकता है: 12 साल से 50 साल तक के लोग।
कितना सेफ: भारत में सेफ्टी के लिहाज से इसे सबसे सेफ माना जाता है। ग्रेड 1 से ग्रेड 4 तक राफ्टिंग काफी सेफ होती है। ग्रेड 5 और ग्रेड 6 की राफ्टिंग खतरनाक मानी जाती है।
खर्च कितना: 1800-2000 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति दिन

ट्रेकिंग
पहाड़ों को चुनौतियों के लिए जाना जाता है। कठिन चढ़ाई हौसले मजबूत करती है और मुश्किलों से लड़ने को प्रेरित करती है। यही कारण है कि बहुत-से लोग हफ्तों ट्रेकिंग करके बिताते हैं। ट्रैकिंग दो तरह की होती है- हाई ऐल्टीट्यूड और लो ऐल्टीट्यूड। कम मुश्किलों वाली लो ऐल्टीट्यूड और कठिनाइयों से भरी हाई ऐल्टीट्यूड।
कहां-कहां ट्रेकिंग: वैसे तो उत्तराखंड में शिवालिक श्रेणियों पर बसे मसूरी और नैनीताल में भी ट्रेकिंग का मजा ले सकते हैं लेकिन हाई ऐल्टीट्यूड ट्रेकिंग के लिए लेह-लद्दाख, स्पीति (हिमाचल) या गंगोत्री जाना पड़ेगा। 16 हजार से 17 हजार फुट की ऊंचाई तक जाना शारीरिक सीमाओं पर पार पाने वाला स्पोर्ट है।
कब करें: हिमालय पर ट्रेकिंग के लिए मार्च से जून तक का समय परफेक्ट है
कौन कर सकता है: लो ऐल्टीट्यूड ट्रेकिंग में कोई दिक्कत नहीं आती लेकिन हाई ऐल्टीट्यूड ट्रेकिंग के लिए दिल और फेफड़ों का सही तरह से काम करना बहुत जरूरी है। ऐसे में हाई ऐल्टीट्यूड ट्रेकिंग के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट जरूरी है।
कितना सेफ: वैसे तो यह पूरी तरह सेफ है और ट्रेकिंग के साथ नेचर को देखने का अनोखा अनुभव जीवन भर याद रखने वाला होता है।
खर्च कितना: डिमांड के हिसाब से 1800 रुपये से 2500 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति रात

रॉक क्लाइंबिंग
सिर्फ हाथों के सहारे चट्टानों पर चढ़ने से शरीर की एक्सर्साइज तो होती ही है, दिमाग भी कसरत करता है कि कैसे टास्क को सरल बनाया जाए। यह गेम शरीर को नहीं, दिमाग को भी फुर्ती देता है।
कहां: जहां भी खड़ी चढ़ाई वाले पहाड़ हैं, वहां इसे कर सकते हैं। दिल्ली के पास सोहना में दम-दमा लेक के पास रॉक क्लाइंबिंग का अच्छा ठिकाना है। इसके अलावा ऋषिकेश और मनाली में भी इसके लिए अच्छे स्पॉट हैं।
कब करें: बेहद ठंडे और बेहद गर्म, दोनों ही सीजन में यह स्पोर्ट परेशान कर सकता है। फरवरी से मई और सितंबर से नवंबर, बेहतर सीजन है।
कौन कर सकता है: काफी टफ माना जाने वाला यह गेम फिट होने पर 50 साल तक के लोग कर सकते हैं।
कितना सेफ: रॉक क्लाइंबिंग करते वक्त आपकी ट्रेनिंग बहुत जरूरी है। यह न सिर्फ आपको सेफ रखती है, काम आने वाले साजो-सामान को भी सही तरीके से इस्तेमाल करना सिखाती है। अच्छे ट्रेनर के साथ करने में कोई दिक्कत पेश नहीं आती है।
खर्च कितना : 2000 रुपये प्रति व्यक्ति तक

स्कूबा डाइविंग
धरती पर जो हमें दिखता है, उससे बहुत ज्यादा समंदर की गहराइयों में देखे जाने का इंतजार कर रहा है। इस अनदेखी दुनिया को देखने का खेल है स्कूबा डाइविंग। इसमें आप ऑक्सिजन सिलेंडर के सहारे पानी के नीचे जाते हैं और एक अनजानी और अनछुई दुनिया से रूबरू होते हैं।
कहां: स्कूबा डाइविंग केवल पानी के नीचे जाना भर नहीं है, वहां मौजूद एक नए संसार को देखना भी है। इस लिहाज से भारत में अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप सबसे खूबसूरत डेस्टिनेशन हैं। सही मायने में यही स्कूबा डाइविंग के ठिकाने हैं।
कब करें: वैसे तो साल भर डाइविंग की जा सकती है लेकिन हाई-टाइड वाले वक्त में यह नहीं की जाती।
कितना सेफ: अगर कम गहराई में डाइविंग करनी है तो यह पूरी तरह से सेफ है लेकिन 150-200 मीटर गहरे में जाने के लिए ट्रेनिंग और एक्सपर्ट्स की मदद की जरूरत पड़ती है।
खर्च कितना : एक बार की डाइव के लिए लगभग 1000 रुपये प्रति व्यक्ति

पैराग्लाइडिंग
चिड़ियों की तरह आकाश में उड़ने का थ्रिल पैराग्लाइडिंग से पैदा होता है। यह स्काई डाइविंग और हैंग ग्लाइडिंग का मिला-जुला अडवेंचर स्पोर्ट है। हवा में उड़ने के लिए एक मजबूत कैवेलार पैराग्लाइडर से अटैच रहता है और ऊंचाई से हवा के खिलाफ छलांग लगाता है और उड़ना शुरू कर देता। इसके सहारे 10 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकते हैं।
कहां: कांगड़ा में बीर और बिलिंग, मनाली, मसूरी जैसी जगहों पर यह आराम से की जा सकती है।
कब करें: बारिश के सीजन को छोड़ कर इसे कभी भी कर सकते हैं। ज्यादा तेज हवाओं में भी इसे करने से बचें।
कितना सेफ: टू सीटर ग्लाइडर में ट्रेंड पायलट के साथ इसे करना काफी सेफ रहता है। अगर अकेले करना चाहते हैं तो पूरी ट्रेनिंग की जरूरत होगी।
खर्च कितना: 1500 से 2000 रुपये प्रति व्यक्ति

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