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कालका-शिमला ट्रेन जिसे लोग टॉय ट्रेन के नाम से जानते हैं के बारे में लोगों ने सुना होगा या कभी शायद यात्रा भी की होगी. 90 किलोमीटर की इस यात्रा को पूरा करने में नैरो गेज ट्रेन कोई 6 घंटे का समय लेती है.
1903 में शुरू हुई यह ट्रेन अपने 116 साल के सफ़र में अब UNESCO की हेरिटेज श्रेणी में है. कोई 10 स्टेशन इसके पूरे रास्ते में आते हैं और एक से बढ़कर एक खूबसूरत नज़ारे लिए है. 103 सुरंगों के साथ इसका सफ़र बेहद अनूठा है.
रास्ते में पड़ने वाले हर एक पुल सिर्फ पत्थर से बनाए गए हैं. सबसे खूबसूरत स्टेशन जो मुझे लगता है वह है “बरोग” एक ब्रिटिश इंजिनियर Col. S Barog के नाम से पड़ा.
कहते हैं की बरोग स्टेशन से ठीक पहले इस मार्ग पर पड़ने वाली सबसे लम्बी सुरंग जो करीब 1.5 किलोमीटर की है का कार्य यही साहब देख रहे थे. अब गलती कहें या लापरवाही, जब २ साल बाद इस सुरंग का काम समाप्त होने को था तो मालूम हुआ की सुरन जो दो तरफ से खोदी जा रही थी आपस में मैच नहीं हो पाई.
जो अपने आप में बहुत बड़ी भूल थी. इसी के परिणाम स्वरुप बरोग साहब को नौकरी से निकाल दिया गया और उनपर मुकदमा चलाया गया. इसी से हताश हो बरोग साहब ने यही स्टेशन पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. बाद में ब्रिटिश हुकूमत ने अपनी गलती मानी की एक इंजिनियर से गलती हो जाने पर उसे इतनी बड़ी सजा नहीं मिलनी चाहिए थी. और उस स्टेशन का नाम बरोग रखा गया.
आज भी कुछ लोग मानते हैं की इंजिनियर बरोग की आत्मा यहीं सुरंग के आस पास भटकती है. 3 साल पहले सिर्फ इसी ट्रेन से यात्रा करने के लिए मैं और मेरा बेटा दिल्ली से स्पेशियल गए थे. मैं कोई 30 साल बाद इस ट्रेन से सफ़र कर रहा था.
कालका से शिमला का किराया (जनरल) अभी भी मात्र 50 रूपये है जो दिल्ली के किसी लम्बी मेट्रो सफ़र के किराए से भी सस्ता है. शिमला जाने के लिए पर्यटक अनेकों माध्यम अपनाते हैं जैसे कार-बस-हवाई यात्रा.
मैं जो अक्सर शिमला जाता हूँ ने भी इस माध्यम को भूला दिया था ने बहुत आनंद लिया. घने जंगलों से खूबसूरत वादिओं से गुजरती ट्रेन जब किसी स्टेशन पर रूकती है तो यह स्टेशन किसी फिल्म में दर्शाए स्टेशन से कम नहीं लगते.
एक बार इस ट्रेन से यात्रा करना बहुत अच्छा अनुभव रहेगा…. बाकी जल्द ही आप आधुनिक ट्रेन से हिमालय का आनंद लेने लगेंगे, जम्मू – श्रीनगर ट्रेन पर।