छोड़कर सामग्री पर जाएँ

सरदार वल्लभभाई पटेल के बंगले की एक अलसाई हुई सुबह

टैग्स:
इस ख़बर को शेयर करें:

दस अगस्त… रविवार की एक अलसाई हुई सुबह। सरदार वल्लभभाई पटेल के बंगले अर्थात १, औरंगजेब रोड पर काफी हलचल शुरू हो गयी है। सरदार पटेल वैसे भी सुबह जल्दी सोकर उठते हैं। उनका दिन जल्दी प्रारम्भ होता है। बंगले में रहने वाले सभी लोगों को इसकी आदत हो गयी है। इसलिए जब सुबह सवेरे जोधपुर के महाराज की आलीशान चमकदार गाड़ी पोर्च में आकर खड़ी हुई, तब वहां के कर्मचारियों के लिए यह एक साधारण सी बात थी।

जोधपुर नरेश, हनुमंत सिंह… ये कोई मामूली व्यक्ति नहीं थे। राजपूताना की सबसे बड़ी रियासत। जिसका इतिहास बहुत पीछे, यानी सन १२५० तक जाता है। पच्चीस लाख जनसंख्या वाली यह विशाल रियासत, छत्तीस हजार स्क्वेयर मील में फ़ैली हुई है। पिछले कुछ दिनों से मोहम्मद अली जिन्ना इस रियासत को पाकिस्तान में विलीन कराने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। वी. के. मेनन ने यह सारी जानकारी सरदार वल्लभभाई पटेल को दी थी। इसीलिए सरदार जी ने जोधपुर नरेश हनुमंत सिंह को अपने घर आमंत्रित किया हुआ हैं।

सरदार पटेल, हनुमंत सिंह को साथ लेकर अपने विशाल और शानदार दीवानखाने में आए। आरंभिक औपचारिक बातचीत के बाद सरदार पटेल सीधे मूल विषय पर आ गए, “मैंने सुना है कि लॉर्ड माउंटबेटन से आपकी भेंट हुई थी, क्या चर्चा हुई?”

हनुमंत सिंह: जी सरदार साहब। भेंट तो हुई, लेकिन कोई ख़ास चर्चा नहीं हुई है।

सरदार पटेल: परन्तु मैंने तो सुना है कि आपकी भेंट जिन्ना से भी हुई है और आपने यह निर्णय लिया है कि आपकी रियासत स्वतंत्र रहेगी?

हनुमंत सिंह: (झेंपते हुए) हां, आपने एकदम सही सुना है।

सरदार पटेल: यदि आपको स्वतंत्र रहना है, तो रह सकते हैं। परन्तु आपके इस निर्णय के बाद यदि जोधपुर रियासत में कोई विद्रोह हुआ तो भारत सरकार से आप किसी सहायता की उम्मीद ना रखें।

हनुमंत सिंह: परन्तु जिन्ना साहब ने हमें बहुत सी सुविधाएं और आश्वासन दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि वे जोधपुर को कराची से रेलमार्ग द्वारा जोड़ देंगे। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो हमारी रियासत का व्यापार ठप्प पड़ जाएगा।

सरदार पटेल: हम आपके जोधपुर को कच्छ से जोड़ देंगे। आपकी रियासत के व्यापार पर कतई कोई फर्क नहीं पड़ेगा। और हनुमंत जी, एक बात और है कि आपके पिताजी यानी उमेश सिंह जी, मेरे अच्छे मित्रों में से एक थे। उन्होंने मुझे आपकी देखभाल का जिम्मा सौंपा हुआ है। यदि आप सीधे रास्ते पर नहीं चलते हैं, तो आपको अनुशासन में लाने के लिए मुझे आपके पिता की भूमिका निभानी पड़ेगी।

हनुमंत सिंह: सरदार पटेल साहब, आपको ऐसा करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। मैं कल ही जोधपुर जाकर भारत देश के साथ विलीनीकरण के करार पर अपने हस्ताक्षर करता हूं।

गणेश मुखी रूद्राक्ष पहने हुए व्यक्ति को मिलती है सभी क्षेत्रों में सफलता एलियन के कंकालों पर मैक्सिको के डॉक्टरों ने किया ये दावा सुबह खाली पेट अमृत है कच्चा लहसुन का सेवन श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में हुआ दर्ज महिला आरक्षण का श्रेय लेने की भाजपा और कांग्रेस में मची होड़