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रावण का कल्याण ही हुआ

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विभीषणने अपने भाई रावण को मरवाकर उसका क्या हित किया ?

रावण तो अपने पापसे ही मरा है। उसका पाप ही उसको खा गया! विभीषणने तो रावणको नये पापसे बचाया है! भगवान् के हाथसे मरकर रावण वैकुण्ठधाममें गया, जिससे उसका कल्याण ही हुआ। दाक्षिणात्य रामायणमें रावण रामजीसे कहता है कि वास्तवमें तुम्हारी विजय नहीं हुई है।

प्रत्युत मेरी विजय हुई है; क्योंकि जबतक मेरे प्राण रहे, तबतक मैंने तुमको अपने नगरमें पैर नहीं रखने दिये, पर अब तुम्हारे जीते-जी मैं तुम्हारे धाममें जा रहा हूँ! बताओ, विजय किसकी हुई? अतः रामजी भी रावणको अपने धाम जानेसे रोक नहीं सके तो रावणका कल्याण ही हुआ !

अगर आज कोई कहे कि हम भी विभीषणकी तरह अपने भाई-बन्धुओंका हित करेंगे तो ऐसा कहनेवाले न तो अपना हित कर सकते हैं, न दूसरोंका हित कर सकते हैं। वास्तवमें वे उनकी सेवा करके ही उनका हित कर सकते हैं, उनको मरवाकर नहीं। जिसके हाथसे उनको मरवाओगे, वह रामजी तो होंगे नहीं! विभीषणने तो अन्यायी, दुराचारी, पापी रावणको रामजीके हाथों मरवाकर उसका कल्याण ही किया है।

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