व्हेल की उल्टी (एम्बरग्रीस) इतनी महंगी क्यों होती है?

एम्बरग्रीस स्पर्म व्हेल के पाचन तंत्र में पैदा होता है। यह व्हेल की आंत में बना मोम जैसा ठोस और ज्वलनशील पदार्थ है, जिसका इस्तेमाल कॉस्मेटिक और दवाओं में इस्तेमाल होता है।

व्हेल मछली की उल्टी की कीमत क्या है? Whale Fish Vomit व्हेल मछली की उल्टी (एंबरग्रीस) तस्कर के पास से मुंबई पुलिस ने दो किलोग्राम से ज्यादा एंबरग्रीस बरामद किया तो पता चला कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत लगभग 2.60 करोड़ है।

रोचक बात यह भी है कि स्पर्म व्हेल में से केवल 1 प्रतिशत ही एम्बरग्रीस का उत्पादन करती हैं।

व्हेल की उल्टी में क्या है खास ?

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व्हेल उल्टी यानी कि एम्बरग्रीस एक मोमी, दहनशील, ठोस पदार्थ है जो शुक्राणु व्हेल की आंत में उत्पन्न होता है। इसे "फ्लोटिंग गोल्ड" भी कहा जाता है।

रासायनिक रूप से एम्बरग्रीस में कोलेस्ट्रॉल जैसा एल्कलॉइड, एसिड और एंब्रेन नामक एक विशिष्ट यौगिक होता है। इसकी कीमत के कारण इसे तैरता हुआ सोना भी कहा जाता है।

एम्बरग्रीस की अधिक मांग का कारण क्या है एम्बरग्रीस का प्रमुख इस्तेमाल कस्तूरी जैसी सुगंध तैयार करने में होता है। दुबई आदि जगहों पर, जहां परफ्यूम का बड़ा बाजार है, वहां इसकी मांग अधिक है।

कैसी होती है स्पर्म व्हेल? स्पर्म व्हेल का वैज्ञानिक नाम फिसेटर कैटोडोन है और इसे काचलोट भी कहा जाता है। पुराने समय में मिस्त्र के लोग सुगंधित धूप बनाने में इसका उपयोग करते थे।

ये दांत वाली व्हेल में सबसे बड़ी होती है और अपने चौकोर सिर और संकीर्ण निचले जबड़े के कारण आसानी से पहचान में आ जाती हैं।

इनका रंग नीला-भूरा या भूरा होता है और पेट पर सफेद धब्बे बने होते हैं। इसकी पीठ पर गोल कूबड़ की श्रृंखला होती है और इसमें छोटे पैडल जैसे फ्लिपर्स होते हैं।

भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में एम्बरग्रीस के व्यापार और इसे रखने पर रोक लगी हुई है। वहीं कई देशों में कुछ सीमाओं के साथ इसका व्यापार किया जा सकता है।