अगर 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों इलेक्ट्रिक ड्राइवट्रेन के साथ रेट्रोफिट करा लिया जाता तो उन्हें सड़कों पर चलने की अनुमति मिल जाएगी। ऐसा दिल्ली सरकार ने घोषणा की थी

सुनने में यह कदम नए वाहन के खर्चे से बचने के लिए ठीक है लेकिन ऐसा कराना बजट के नजरिये से आसान नहीं है।

आइये जानते है कि पुरानी कार को इलेक्ट्रिक में बदलवाने के लिये किन चुनौतियों से गुजरना होगा? और क्या होता है रेट्रोफिटिंग?

आइये जानते है कि पुरानी कार को इलेक्ट्रिक में बदलवाने के लिये किन चुनौतियों से गुजरना होगा? और क्या होता है रेट्रोफिटिंग?

रेट्रोफिटमेंट या रेट्रोफिटिंग का मतलब पहले से मौजूद डिवाइस/वाहन में कुछ अतिरिक्त पार्ट्स को लगाने से है, जिससे उस पुराने वाहन को और बेहतर बनाया जा सके।

आइये जानते है कि पुरानी कार को इलेक्ट्रिक में बदलवाने के लिये किन चुनौतियों से गुजरना होगा? और क्या होता है रेट्रोफिटिंग?

वाहनों में इलेक्ट्रिक मोटर किट, CNG किट या PNG किट लगवाने की प्रक्रिया को भी रेट्रोफिटिंग ही कहा जाता है।

आइये जानते है कि पुरानी कार को इलेक्ट्रिक में बदलवाने के लिये किन चुनौतियों से गुजरना होगा? और क्या होता है रेट्रोफिटिंग?

इलेक्ट्रिक किट रेट्रोफिट कर पुराने डीजल या पेट्रोल वाहनों को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहन में बदल दिया जाता है। 

आइये जानते है कि पुरानी कार को इलेक्ट्रिक में बदलवाने के लिये किन चुनौतियों से गुजरना होगा? और क्या होता है रेट्रोफिटिंग?

इस प्रक्रिया में इंजन की जगह इलेक्ट्रिक मोटर लगाई जाती है। इलेक्ट्रिक किट रेट्रोफिटिंग के लिये होता है पार्ट्स में बड़ा बदलाव

आइये जानते है कि पुरानी कार को इलेक्ट्रिक में बदलवाने के लिये किन चुनौतियों से गुजरना होगा? और क्या होता है रेट्रोफिटिंग?

EV टेक्नोलॉजी फर्म अल्टिग्रीन के संस्थापक और CEO डॉ अमिताभ सरन के अनुसार पुराने वाहनों में इलेक्ट्रिक किट फिट कराना कोई आसान काम नहीं है।

आइये जानते है कि पुरानी कार को इलेक्ट्रिक में बदलवाने के लिये किन चुनौतियों से गुजरना होगा? और क्या होता है रेट्रोफिटिंग?

इसके लिये आपको सबसे पहले ICE इंजन से जुड़ी हर चीज को हटाना होगा। इसमें इंजन, फ्यूल लाइन, फ्यूल टैंक, फिल्टर, AC यूनिट और भी बहुत कुछ शामिल है।

आइये जानते है कि पुरानी कार को इलेक्ट्रिक में बदलवाने के लिये किन चुनौतियों से गुजरना होगा? और क्या होता है रेट्रोफिटिंग?

इन सब को हटाने के बाद आपके पास सिर्फ पहिए, ब्रेक्स, वाहन का केबिन और चेसिस ही बचता है। इनके अलावा सब कुछ बदला जाता है।

इंजन से जुड़ी सभी चीजों को हटाने के बाद एक इलेक्ट्रिक किट को लगाया जाता है। इसमें सबसे जरूरी वस्तु इलेक्ट्रिक मोटर होती है जो पहियों को गति देती है। 

इसके अलावा मोटर को चलाने के लिए एक कंट्रोलर, एक बहुत मजबूत तार, एक बैटरी पैक, एक बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम और बहुत कुछ शामिल होता है।

सभी तरह के पार्ट्स लगाने और टेस्टिंग के बाद वाहन को RTO से रजिस्टर्ड कराया जाता है।

रेट्रोफिटिंग में कितना आता है खर्चा? एक्सपर्ट के अनुसार, औसतन 1kW लिथियम-आयन बैटरी की कीमत लगभग 14,000 रुपये होती है।

एक पुरानी कार को रेट्रोफिटेड EV में कम से कम 250 किलोमीटर की रेंज प्राप्त करने के लिए लगभग 25kW से 30kW के बैटरी पैक की आवश्यकता होती है।

ऐसे में सिर्फ बैटरी पैक की कीमत ही कम से कम 3.50 लाख रुपये होगी। इसके अलावा AC यूनिट, इलेक्ट्रिक मोटर और अन्य पार्ट्स पर लगभग 2.5 से 3 लाख रुपये का खर्चा अलग होता है।

ग्राहक के लिये ऐसे में एक नई EV खरीदने में ही समझदारी होगी। इसके अलावा नई कार के हर एक पार्ट पर लंबी वारंटी मिलेगी और कंपनी का भरोसा भी रहेगा।