प्रतापगढ़। आज के दौर में पत्रकारों की आवाज को दबाने की पूरी कोशिस की जा रही है। उन्हें अब न ही लिखने की आजादी रह गई है और न ही सच दिखाने की आजादी। लिहाजा खबर चलने से पहले ही लोगो की मिल जाती है धमकी। इसका सीधा मतलब है देश की जनता की आवाज दबाने की कोशिश करके काला – पीला करने की पूरी आजादी मिला जाना। ऐसे में अगर पत्रकारिता पर लगा पहरा तो शायद देश आ सकता है खतरे में।
पत्रकारिता को दबाने का मतलब गरीब, असहाय, कमजोर और देश की जनता की आवाज और दर्द और हक को दबाने की होगी कोशिश । सच लिखने की आजादी होनी चाहिए देश के पत्रकारों को। पत्रकारों को धमकी और सच लिखने से रोकने वालो पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। प्रतापगढ़ के युवा पत्रकार शुभम मिश्रा (जिला मंत्री) कहते है पत्रकारिता स्वतंत्र होनी चाहिए। साथ ही पत्रकारों के बीच चल रही द्वेष भावना खत्म होनी चाहिए।
प्रदेश सरकार से हमारी गुजारिश है कि पत्रकारों के ऊपर हो रहे उत्पीड़न के लिए कड़ी कार्यवाही का प्रावधान करना चाहिए। अगर ऐसे ही चलता रहा उत्पीड़न पत्रकारों पर तो वह दिन दूर नहीं जब सच लोगों से बहुत दूर होगा और झूठ लोगों की बहुत करीब। अधिकारी से लेकर राजनेता और पुलिस प्रशासन हर कोई अपने मन की करना चालू कर देगा।
पत्रकारों पर दबाव का मतलब सीधा आम जनमानस के आवाज को दबाने का काम लगातार होता रहा है। देश का चौथा स्तंभ स्वतंत्र तो है पर कहीं ना कहीं आज भी देश के चौथे स्तंभ की स्वतंत्रता पर अंकुश लगता रहा है। पत्रकारों को धमकाने और पत्रकारों से दुर्व्यवहार करने वालों पर होनी चाहिए कड़ी कार्यवाही।