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दमोह @ हरी खाद द्वारा फसलों के लिए नाईट्रोजन के लिए नाईट्रोजन की मात्रा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके साथ ही अन्य आवश्यक तथ्वों को भी पूर्ति होती है, हरी खाद के लिए मुलायम तने वाली फसलें सबसे उत्तम होती है तथा पौधों के मुलायम भाग भी हरी खाद के रूप में उपयोग कर सकते है।
मुख्य रूप से ढेंचा एवं सन का उपयोग हरी खाद के लिए किया जाता है। आवश्यकतानुसार फसल अवधि के अनुसार हरी खाद का उपयोग किया जाना चाहिए जिन भूमियों में फसल एक मौसम में लेते हैं उनमें भी हरी खाद ली जा सकती है, बुआई के एक माह पहले यदि समुचित समय मिलता है तो उसमें ढेंचा या सन की बुआई की जा सकती है जब फसल की वृद्धि एक या डेढ़ फुट के आस पास हो तथा इसके सभी भाग मुलायम रहे, तब इसको मिट्टी में पलट देना चाहिए ताकि वह मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाये।
मिट्टी में सड़न पैदा होती है तथा सड़कर मिट्टी में मिल जाती है जो कि नाईट्रोजन सहित उत्तम खाद तैयार हो जाती है, यदि पेड एवं पौधों के मुलायम भागों को भी तोड़कर मिट्टी में मिलाया जायें, तो वे भी सड़कर मिट्टी में मिल जाते है तथा हरी खाद होती है, जिससे भू उर्वरता में वृद्धि होती है।