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धर्मेंद्र के प्रति मीना कुमारी की दीवानगी का एक किस्सा

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पूर्णीमा(1965) वो पहली फिल्म थी जो धर्मेंद्र-मीना कुमारी की जोड़ी ने सबसे पहले साइन की थी। हालांकि इस जोड़ी की पहली रिलीज़्ड फिल्म थी ‘मैं भी लड़की हूं’ जो साल 1964 में रिलीज़ हुई थी। धर्मेंद्र ने जब पूर्णिमा साइन की थी तब उन्होंने इंडस्ट्री के अपने एक दोस्त से मीना कुमारी के बारे में बात की। उनके स्वभाव के बारे में पूछा। दरअसल, मीना कुमारी उस ज़माने में इंडस्ट्री की टॉप-मोस्ट स्टार थी। और उनके अपोज़िट काम करने के मौका मिलना धर्मेंद्र के लिए उस समय बहुत बड़ी बात थी। वो काफी नर्वस थे तब। धर्मेंद्र के दोस्त ने उन्हें सलाह दी कि जब तुम उनसे पहली दफा मिलो तो उनके पैर छू लेना।

चांदीवली स्टू़डियो में धर्मेंद्र और मीना कुमारी की पहली मुलाकात हुई थी। मीना कुमारी जिस ढंग से धरम जी से पहली दफा मिली वो उनके लिए बहुत सुखद और खास अनुभव था। इतनी बड़ी स्टार एक नए लड़के से इतने प्रेम और दोस्ताना रवैये से मिले, इसकी उम्मीद शायद धरम जी को भी नहीं थी। कहा जाता है कि मीना जी भी धर्मेंद्र की शख्सियत से काफी प्रभावित हुई थी। उन्होंने कहा था कि ये कोई मामूली लड़का नहीं है। ये बहुत आगे जाएगा।

मीना कुमारी और धर्मेंद्र ने सात फिल्मों में संग काम किया था। पूर्णिमा, मैं भी लड़की हूं, काजल, फूल और पत्थर, चंदन का पालना, मझली दीदी और बहारों की मंज़िल। इनमें पूर्णिमा हिट रही थी। फूल और पत्थर ब्लॉकबस्टर रही। और काजल सुपरहिट थी। हालांकि काजल में धर्मेंद्र-मीना कुमारी एक-दूजे के अपोज़िट नहीं थे। अन्य सभी फिल्में फ्लॉप हो गई थी। इतनी फिल्मों में साथ काम करने के दौरान धर्मेंद्र और मीना कुमारी काफी नज़दीक आ गए थे। मीना कुमारी धर्मेंद्र को पसंद करने लगी थी।

कई दफा ऐसे मौके आए जब फिल्मी पार्टियों में धर्मेंद्र और मीना कुमारी एक साथ शिरकत करने पहुंचे। और इस दौरान दोनों एक-दूजे का हाथ भी थामे हुए नज़र आते थे। इस तरह मीडिया के गॉसिप्स कॉलम को भी इनके बारे में लिखने के लिए खूब मसाला मिल जाता था।

एक दफा दिल्ली में काजल फिल्म के प्रीमियर में शिरकत करने के बाद धर्मेंद्र मुंबई वापस लौटने के लिए जब एयरपोर्ट पहुंचे तो उन्हें प्लेन में सवार नहीं होने दिया गया। और वो इसलिए क्योंकि उस वक्त धर्मेंद्र बहुत ज़्यादा नशे में थे। उस वक्त धर्मेंद्र कह रहे थे कि मुझे हर हाल में मुंबई जाना है। मीना मेरा इंतज़ार कर रही है। ये इंसिडेंट भी मीडिया की सुर्खियां बना था।

धर्मेंद्र के प्रति मीना कुमारी की दीवानगी का एक किस्सा कुछ यूं है कि एक दफा धर्मेंद्र और मीना कुमारी व इनके कुछ और दोस्त पिकनिक पर गए। वापसी के समय धर्मेंद्र किसी दूसरी कार में बैठ गए। धर्मेंद्र को अपने पास ना पाकर मीना कुमारी बहुत बेचैन हो गई। वो जानना चाहती थी कि धर्मेंद्र क्यों उनके साथ नहीं बैठे हैं। कहीं धर्मेंद्र भाग तो नहीं गए। या उन्हें कुछ हो तो नहीं गया।

मीना कुमारी को खूब समझाया गया कि धर्मेंद्र कहीं नहीं गए हैं। वो एकदम ठीक हैं। लेकिन मीना ने किसी की नहीं सुनी। उन्होंने कार रुकवाई और फिर बीच सड़क में बैठ गई और बोली,”मेरा धरम कहां है?” आज मीना कुमारी जी की पुण्यतिथि है। 31 मार्च 1972 को मीना कुमारी जी की मृत्यु हो गई थी।

Note: उपरोक्त सभी तथ्य राजीव विजयकर जी द्वारा लिखित धर्मेंद्र की बायोग्राफी ‘धर्मेंद्र: नोट जस्ट ए ही-मैन’ से लिए गए हैं। 

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