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हिंसक घटनाओं पर निर्वाचन की आयोग चुप्पी पर कमलनाथ ने उठाये सवाल : संज्ञान में नहीं लेने को बताया दुखद

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भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव के लिए गत 03 नवम्बर को हुए मतदान के दौरान हुई हिंसक घटनाओं पर चुप्पी को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने निर्वाचन आयोग पर सवाल उठाये हैं। उन्होंने इन घटनाओं को निर्वाचन आयोग द्वारा संज्ञान में नहीं लेने को दुखद बताया साथ ही अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि राजनैतिक संरक्षण कभी स्थायी नहीं होता है।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि मतदान के दौरान सुमावली, मुरैना, मेहगांव सहित अन्य उप-चुनाव वाले क्षेत्रों में भाजपा के लोगों ने हिंसक घटनाओं के माध्यम से और गोली चलाकर बूथ कैप्चरिंग की। उन्हें इसके लिए खुलेआम पुलिस और प्रशासन का संरक्षण मिला। उन्होंने कहा कि इन सारी घटनाओं की वीडियो और खबरें विभिन्न प्रचार माध्यमों से सामने आई हैं, लेकिन यह दुखद है कि चुनाव आयोग ने शिकायतों और प्रमाणों के बाद भी ऐसे बूथों पर पुनर्मतदान करवाना उचित नहीं समझा।

कमलनाथ ने कहा कि इस तरह की घटनाओं के प्रमाणित तथ्य, शिकायतों के साथ प्रत्याशियों द्वारा चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत भी किये गये, किंतु पुनर्मतदान का निर्णय नहीं लिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह की घटनाओं पर अपराधिक मामले भी दर्ज नहीं किये गये। इन तथ्यों से स्पष्ट है कि पुलिस और प्रशासन द्वारा ऐसे तत्वों की खुलकर मदद की गई, उनकी मूक सहमति से ही यह सब घटित हुआ है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता ने इन उपचुनावो में भाजपा के धनबल, अर्थबल और बाहुबल का खुला नंगा नाच देखा है। इन घटनाओं से प्रदेश की छवि देश भर में धूमिल हुई है। कमलनाथ ने कहा कि मैंने पहले भी कहा है कि पुलिस और प्रशासन के अधिकारी निष्पक्ष तरीके से चुनाव को संपन्न कराएं और अपने पदीय दायित्वों को ईमानदारी व निष्पक्षता से निभाएं, परंतु जिन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने दायित्वों का निष्पक्ष निर्वहन नहीं करते हुए चुनावों को भाजपा के पक्ष में प्रभावित करने का कार्य किया है, उनकी संपूर्ण गतिविधियां रिकॉर्डेड है और इसके लिए वे उत्तरदायी होंगे।

उन्होंने कहा कि जो पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी राजनैतिक संरक्षण में अपने दायित्वों का निष्पक्षता व ईमानदारी से निर्वहन नहीं कर रहे हैं, वे यह जान लें कि कोई भी राजनैतिक संरक्षण कभी स्थायी नहीं होता है। आगामी 10 तारीख के बाद जनता के सामने यह सब प्रमाण रखा जायेगा।

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