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केंद्र सरकार देश में बेची जा रही सभी दवाओं का एक बड़ा डाटाबेस तैयार करने की तैयारी में है। इसका उद्देश्य ग्राहकों को सशक्त करना और निगरानी बढ़ाना है। इसे नेशनल ड्रग्स डाटाबेस के नाम से जाना जाएगा और स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके लिए समिति गठित की है। यह समिति देश में बनाई और बेची जा रही हर दवा का डाटाबेस तैयार करने की सिफारिशें देगी। डाटाबेस में दवा की खुराक से लेकर हर जानकारी शामिल होगी।
सात सदस्यीय समिति का हुआ गठन
न्यूज18 के अनुसार, इसके लिए सात सदस्यों की समिति बनाई गई है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) वीजी सोमानी की तरफ से जारी मेमोरेंडम में लिखा गया है कि देश में निर्मित और बेची जा रही दवाओं का एक विस्तृत डाटाबेस जरूरी है, जिसमें दवा की खुराक समेत विस्तृत जानकारी हो और इसके निर्माता/विक्रेता/आयातक की भी जानकारी हो। इसमें आगे लिखा है कि इससे न सिर्फ ग्राहक सशक्त होंगे बल्कि निगरानी की व्यवस्था भी मजबूत होगी।
समिति में ये सदस्य होंगे शामिल
समिति में नामित किए गए सदस्यों में गुजरात फूड एंड ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन (FDCA) के कमिश्नर डॉ एचडी कोशिया, दिल्ली AIIMS से डॉ पूजा गुप्ता, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिक डॉ जेरियन जोस, महाराष्ट्र फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के संयुक्त कमिश्नर डीआर गहाने, कर्नाटक के स्टेट ड्रग कंट्रोलर बीटी खानापुरे और हिमाचल प्रदेश के स्टेट ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाह शामिल हैं। संयुक्त DCGI एके प्रधान इस समिति के संयोजक होंगे।
यह समिति राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मौजूदा डाटाबेस की जानकारियां जुटाएगी। अगर समिति को लगता है कि किसी विशेषज्ञ की जरूरत है तो उसे इसमें शामिल किया जा सकता है। इस समिति को तीन महीने में अपनी सिफारिशें सौंपने को कहा गया है।
दवा कंपनियों की मार्केटिंग प्रैक्टिस की भी हो रही समीक्षा
दवा कंपनियों की तरफ से डॉक्टरों को रिश्वत और दूसरे लालच देने से रोकने के लिए सरकार गंभीर हो गई है। केंद्र सरकार ने दवा कंपनियों की मार्केटिंग प्रैक्टिस की समीक्षा की समीक्षा के लिए सितंबर में एक समिति गठित की थी। समीक्षा के साथ-साथ समिति यह भी देखेगी कि क्या मेडिकल प्रैक्टिस के नियंत्रण के लिए किसी कानूनी ढांचे की जरूरत है। यह समिति भी तीन महीने के अंदर सिफारिशें सौंपेगी।
किन चीजों की समीक्षा करेगी समिति?
यह समिति मौजूदा कोड ऑफ कंडक्ट और 2015 में लाए गए यूनिफॉर्म कोड ऑफ फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेस (UCPMP) की समीक्षा कर रही है। मेमोरेंडम में लिखा गया था कि मौजूदा नियमों के तहत शिकायत और जांच का प्रावधान है, लेकिन ये सरकार के किसी भी नियमों के तहत नहीं आते। मार्केटिंग प्रैक्टिसेस को नियंत्रित करने के एक कानूनी ढांचे की जरूरत के मुद्दे पर सभी हितधारकों के विचार लेने और उनकी समीक्षा के लिए यह समिति बनाई गई है।
वीके पॉल कर रहे हैं इस समिति का नेतृत्व
नीति आयोग सदस्य डॉ वीके पॉल इस समिति का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके अलावा फार्मास्यूटिकल विभाग की सचिव एस अपर्णा, स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण, CBDT के प्रमुख नितिन गुप्ता और फार्मा विभाग (पॉलिसी) के एक संयुक्त सचिव इस समिति में शामिल हैं।
Iske sath price control ki sakt jarurat hai , abhi kuch bhi manchahe MRP likh kar aam public ko loota ja raha hai , production cast ko dyan me rakh kar govt ki taraf se rate fix hona jaruri hai, isse marketing me riswat ho jayegi