नई दिल्ली। उत्तराखंड के चमोली में रविवार को धौलीगंगा नदी का जल स्तर अचानक बढ़ गया। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, रैनी गांव में लगे पावर प्रोजेक्ट के पास एवलॉन्च आने के बाद नदी का जल स्तर बढ़ गया। इसके बाद किनारे पर बसे गांवों को खाली करवाया जा रहा है। मौके पर रेस्क्यू टीम भी पहुंच गई है।
हरिद्वार में कुंभ मेला चल रहा है। इसलिए राज्य सरकार ने यहां भी हाई अलर्ट जारी कर दिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अफसरों से हालात का जायजा लिया। उन्होंने प्रदेश की जनता से अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की है। बताया, ‘एहतियातन भागीरथी नदी का पानी रोक दिया गया है। अलकनंदा, श्रीनगर डैम और ऋषिकेश डैम प्रभावित हुआ है। SDRF की टीम अलर्ट पर है। मैं खुद मौके पर जा रहा हूं।’
पॉवर प्रोजेक्ट और तपोवन बैराज टूटा
चमोली पुलिस के मुताबिक, ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट भी क्षतिग्रस्त हो गया है। अलकनंदा नदी के किनारे रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा जा रहा है। इसके अलावा धौली नदी में बाढ़ आने से तपोवन बैराज भी पूरी तरह से टूट गया है। अफसरों ने झील का पानी कम करने का निर्देश दिया है, ताकि अलकनंदा का जल स्तर बढ़ने पर अतिरिक्त पानी छोड़ने में दिक्कत न हो।
कर्णप्रयाग में आज ३ बज कर १० मिनट पर नदी में पानी की बहाव की स्थिति से साफ़ है कि बाढ़ की सम्भावना बहुत ही कम है। हमारा विशेष ध्यान सुरंगों में फँसे श्रमिकों को बचाने में है और हम सभी प्रयास कर रहे हैं। किसी भी समस्या से निपटने के सभी ज़रूरी प्रयास कर लिए गये हैं। #Uttarakhand pic.twitter.com/MrEjW4de05
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) February 7, 2021
जून 2013 में कई लोग मारे गए थे
16-17 जून 2013 को बादल फटने से रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जिलों में भारी तबाही मचाई। इस आपदा में 4,400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए। 4,200 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया। इनमें 991 स्थानीय लोग अलग-अलग जगह पर मारे गए। 11,091 से ज्यादा मवेशी बाढ़ में बह गए या मलबे में दबकर मर गए। ग्रामीणों की 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई। 2,141 भवनों का नामों-निशान मिट गया। 100 से ज्यादा बड़े व छोटे होटल ध्वस्त हो गए। आपदा में नौ नेशनल हाई-वे, 35 स्टेट हाई-वे और 2385 सड़कें 86 मोटर पुल, 172 बड़े और छोटे पुल बह गए या क्षतिग्रस्त हो गए थे।